सपनों का घर बनाएं वास्तु के साथ: दिशाओं और लेआउट में सुख-समृद्धि का राज (Sapno Ka Ghar Banayen Vastu Ke Saath: Dishaao Aur Layout Mein Sukh-Samriddhi Ka Raaj)

सपनों का घर बनाएं वास्तु के साथ

सपनों का घर बनाएं वास्तु के साथ: दिशाओं और लेआउट में सुख-समृद्धि का राज (Sapno Ka Ghar Banayen Vastu Ke Saath: Dishaao Aur Layout Mein Sukh-Samriddhi Ka Raaj)
सपनों का घर बनाएं वास्तु के साथ: दिशाओं और लेआउट में सुख-समृद्धि का राज (Sapno Ka Ghar Banayen Vastu Ke Saath: Dishaao Aur Layout Mein Sukh-Samriddhi Ka Raaj)

वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन का फ्लोर प्लान

सपनों का घर बनाएं वास्तु के साथ: दिशाओं और लेआउट में सुख-समृद्धि का राज (Sapno Ka Ghar Banayen Vastu Ke Saath: Dishaao Aur Layout Mein Sukh-Samriddhi Ka Raaj)

आप अपना सपनों का घर बना रहे हैं? तो वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखना आपके लिए लाभदायक साबित हो सकता है. वास्तु शास्त्र प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो दिशाओं और भवन के लेआउट के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा का संचार बनाये रखने का मार्गदर्शन करता है.

यह ब्लॉग वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार फ्लोर प्लान बनाने में आपकी सहायता करेगा.

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प्रवेश द्वार (Main Door)

  • मुख्य द्वार को उत्तर या पूर्व दिशा में बनाना शुभ माना जाता है.
  • दरवाजा टिकाऊ लकड़ी से बना होना चाहिए और उस पर स्वस्तिक या शुभ अक्षरों का अंकन होना शुभ होता है.

कक्षों का स्थान (Placement of Rooms)

  • पूजा का कमरा: पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में बनाना शुभ होता है. इस कमरे को साफ और शांत रखें.
  • शयन कक्ष: दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए. बिस्तर को इस प्रकार रखें कि आपका सिर सोते समय दक्षिण दिशा की ओर हो.
  • बच्चों का कमरा: पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाना शुभ होता है.
  • रसोईघर: दक्षिण-पूर्व दिशा में बनाना चाहिए. खाना बनाते समय पूर्व दिशा का मुंह रखना शुभ होता है.
  • स्नानघर: उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए. टॉयलेट सीट दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए.

अन्य महत्वपूर्ण बातें (Other Important Points) सपनों का घर बनाएं वास्तु के साथ

  • भवन का आकार हमेशा वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए.
  • ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) को हमेशा खाली रखना चाहिए. भारी सामान इस दिशा में नहीं रखने चाहिए.
  • उत्तर दिशा में बालकनी होना शुभ होता है.
  • कटाव (Cuts) से बचना चाहिए. भूखंड समतल होना चाहिए.
  • खिड़कियां उत्तर, पूर्व या पश्चिम दिशा में होनी चाहिए.

निष्कर्ष (Conclusion):

वास्तु शास्त्र के ये सुझाव आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ा सकते हैं और सौभाग्य ला सकते हैं. हालाँकि, वास्तु सलाहकार से परामर्श करना भी उचित होता है, जो आपके भूखंड के विशिष्ट लेआउट और आपकी आवश्यकताओं के अनुसार सलाह दे सकता है.

कृपया ध्यान दें: वास्तु शास्त्र एक ज्योतिषीय विज्ञान है. इस ब्लॉग में दी गई जानकारी को मार्गदर्शक के रूप में प्रयोग करें.

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सपनों का घर बनाएं वास्तु के साथ: दिशाओं और लेआउट में सुख-समृद्धि का राज

बिल्कुल! चलिए वास्तु शास्त्र के कुछ गहन पहलुओं पर नज़र डालते हैं:

ईशान कोण का महत्व (Significance of Eeshan कोण):

ईशान कोण, जो कि उत्तर-पूर्व दिशा का माना जाता है, वास्तु में सबसे शुभ माना जाता है. इस दिशा को सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है. इसलिए इस कोने को हमेशा खाली रखना चाहिए और भारी सामान या कचरा जमा नहीं करना चाहिए. आप इस स्थान पर पूजा का कमरा या अध्ययन कक्ष बना सकते हैं.

प्रकाश और वायु संचार (Light and Air Circulation):

वास्तु शास्त्र प्राकृतिक प्रकाश और हवा के महत्व पर भी बल देता है. इसलिए घर में पर्याप्त खिड़कियां और दरवाजे होने चाहिए जो उत्तर, पूर्व या पश्चिम दिशा में हों. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और निवासियों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है.

आकार का प्रभाव (Impact of Shape):

जैसा कि हमने पहले बताया, वर्गाकार या आयताकार आकार का भवन वास्तु के अनुसार शुभ माना जाता है. अनियमित आकार के भवनों में ऊर्जा का प्रवाह रुक सकता है. इसलिए, निर्माण के समय भूखंड को समतल करवाना और सही आकार देना जरूरी होता है.

निष्कर्ष (Conclusion):

वास्तु शास्त्र सिर्फ दिशाओं और लेआउट के बारे में नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के साथ सद्भाव बनाकर रहने का एक holistic (समग्र) दृष्टिकोण है. वास्तु के सिद्धांतों का पालन करके आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ा सकते हैं, मनःशांति प्राप्त कर सकते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं.

क्या आप अपना सपनों का घर बनाना चाहते हैं? क्या आप चाहते हैं कि आपका घर सुंदर, आरामदायक और सकारात्मक ऊर्जा से भरा हो? अगर हाँ, तो वास्तु शास्त्र आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

वास्तु शास्त्र प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो दिशाओं और भवन के लेआउट के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा का संचार बनाये रखने का मार्गदर्शन करता है। इसका उद्देश्य (Iska uddeshya) सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाकर रहने वालों के स्वास्थ्य, धन और खुशहाली को बढ़ावा देना है।

यह ब्लॉग आपको वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार सपनों का घर बनाने में मदद करेगा।

भूमि का चुनाव:

  • आकार: भूमि का आकार वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए।
  • दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा में मुख वाला भूखंड शुभ होता है।
  • ढलान: भूखंड का ढलान उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
  • आसपास का वातावरण: शांत और खुला वातावरण अच्छा माना जाता है।

भवन का लेआउट:

  • मुख्य द्वार: मुख्य द्वार को उत्तर या पूर्व दिशा में बनाना शुभ माना जाता है।
  • पूजा का कमरा: पूजा का कमरा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में बनाना चाहिए।
  • रसोईघर: रसोईघर दक्षिण-पूर्व दिशा में बनाना चाहिए।
  • शयन कक्ष: शयन कक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए।
  • स्नानघर: स्नानघर उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए।

अन्य महत्वपूर्ण बातें:

  • खिड़कियां: खिड़कियां उत्तर, पूर्व या पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।
  • सीढ़ियां: सीढ़ियां उत्तर या पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।
  • रंग: हल्के और खुले रंगों का उपयोग करना शुभ माना जाता है।
  • पौधे: घर के चारों ओर तुलसी, नीम, चंदन आदि के पौधे लगाना शुभ होता है।

निष्कर्ष: सपनों का घर बनाएं वास्तु के साथ

वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करके आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ा सकते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

यह ब्लॉग आपको वास्तु के बारे में बुनियादी जानकारी प्रदान करता है। अधिक जानकारी के लिए आप किसी वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श कर सकते हैं।

यहां कुछ उपयोगी टिप्पणियां दी गई हैं:

  • वास्तु शास्त्र में ज्योतिष विज्ञान का भी उपयोग होता है।
  • आपके जन्मतिथि और ग्रहों की स्थिति के आधार वास्तु विशेषज्ञ आपके लिए उपयुक्त लेआउट तैयार कर सकता है।
  • वास्तु शास्त्र में कई नियम और अपवाद हैं।
  • किसी भी निर्णय लेने से पहले किसी विशेषज्ञ से परामर्श करना हमेशा बेहतर होता है।

यह ब्लॉग आपको सपनों का घर बनाने में मदद करेगा।

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शुभकामनाएं!

2 thoughts on “सपनों का घर बनाएं वास्तु के साथ”

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